आइ परेशानियाँ मेरी राहों में,
उन्हें ठीक करता हुआ, मैं बढ़ता चला गया,
पूछे सौ सवाल, उठी सौ उँगलियाँ,
सबको किए नज़रंदाज़, मैं बढ़ता चला गया,
गिरा कई बार, उठा हर बार,
बिन रोके ये कदम, मैं बढ़ता चला गया,
कभी धीमे से, कभी तेज़ी से,
गति की चिंता न करते हुए, मैं बढ़ता चला गया,
मिले कुछ लोग, बिछड़े भी कई,
सबको लिए यादों में, मैं बढ़ता चला गया,
बनाए कई पल, कुछ पल बिगाड़े भी,
उन पालो के टुकड़ों को समेटे, मैं बढ़ता चला गया।
I can relate to this post …..the feelings you shared are so true….too good…..👌
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I’m glad you can relate to my words. Thank you so much! ^_^
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😊😊
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भाव पूर्ण। बहुत पुराना गीत याद आया,,’कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे …
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